पलायन : सरकारों की पोल खोलते आंकड़े

कोटद्वार। राज्य गठन के बाद प्रदेश में बारी-बारी से राजभोग की जगाली कर रही भाजपा, कांग्रेस की पोल दो लाख 80 हजार से ज्यादा खाली हुए घर खोलते हैं। पलायन पहले भी था लेकिन लोग गांव लोटते थे, लेकिन अब हालत उलटे हैं। प्रदेश में हुए पलायन के पीछे के कारण जहां रोजगार, शिक्षा, स्वास्य, बिजली आदि है। वहीं पलायन से प्रदेश की सभ्यता सस्कृति को खतरा पैदा हो गया है, जिसकी सीधे जिम्मेदारी सरकार को जाती है। सरकार के आंकड़ों पर नजर डाले तो पौड़ी जनपद के 38 हजार 7 सौ 64 घरों पर ताले पड़े हैं तो रुद्रप्रयाग के 11 हजार 6 सौ 10 वही उत्तरकाशी में 12 हजार 8 सौ 50 घर विरान हैं देहरादून जनपद के हालात और खराब है, यहा 46 हजार 4 सौ 90 भवनों को तालों से पलायन ने कैद कर दिया है। टिहरी में 37 हजार 7 सौ 60 घरों पर ताले है तो पिथोरागढ़ में 25 हजार 9 सौ 15, अल्मोड़ा में 38 हजार 5 सौ 70 घर खाली हो गये है। नैनीताल मे 23 हजार 9 सौ 40 घर ताले की कैद में है तो बागेश्वर में 11 हजार 5 सौ 60 घर और चम्पावत के 12 हजार 7 सौ 30 घरों पर ताले लटके है। हालात अब इन जनपदों के गांवों के ये है कि कभी देव पूजन में ही लोग घर पहुंचते है वो पांच साल चार साल बाद।

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