उत्तराखंड : रावत कैबिनेट ने लिये ये चार फैसले

देहरादून। त्रिवेंद्र सिंह रावत की कैबिनेट ने बुधवार को चार फैसले लिये। बैठक में सबसे महत्वपूर्ण फैसला उत्तराखंड महिला बंदी जेल रक्षक की सेवा नियमावली में परिवर्तन का रहा। इस पद के लिए अब न्यूनतम शैक्षिक अर्हता इंटर कर दी गयी है। बैठक में सातवें वेतन के भत्तों व वेतन विसंगति को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं आया। बैठक में दो मामलों को स्थगित किया गया।
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए शासकीय अधिवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि कैबिनेट में छह मामले आये थे, जिनमें से दो को स्थगित किया गया। स्थगित होने वाले प्रस्तावों में एक खाद्य आपूर्ति विभाग व एक अन्य था। जबकि अन्य चार मामलों में निर्णय लिये गये। कैबिनेट ने उत्तराखंड महिला बंदी जेल रक्षक सेवा नियमावली में संशोधन को मंजूरी दी। इसके तहत अब इस पद के लिए शैक्षिक अर्हता हाईस्कूल के बजाय इंटर होगी। इस पद के लिए सीधी भर्ती की आयु न्यूनतम 21 और अधिकतम 35 वर्ष की गई। जबकि पूर्व में यह 18 से 33 वर्ष थी। इसके अलावा सामान्य ज्ञान की परीक्षा पहले की तरह 100 अंकों की होगी और 100 अंक शारीरिक दक्षता के लिए भी रखे गये हैं। पूर्व में शारीरिक दक्षता के लिए अंक नहीं थे। कैबिनेट ने दूसरा फैसला महायोगी गोरखनाथ महाविद्यालय, यमकेश्वर पर लिया है। इस अशासकीय महाविद्यालय को राजकीय महाविद्यालय का दर्जा दिया गया। यह महाविद्यालय यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता के नाम पर है।
इसके अलावा कैबिनेट ने वाणिज्य कर विभाग के उन 11 कार्मिकों को बड़ी राहत दी है, जिनके एरियर का पैसा बैंक से लाते समय लूट लिया गया था। यह घटना 2010 में हुई थी। काशीपुर में तैनात विभाग के कैशियर त्रिवेणी राम यादव 11 कार्मिकों के एरियर का पैसा बैंक से लेकर आ रहे थे, पैसा लुट जाने के बाद इन कार्मिकों को एरियर भुगतान नहीं हो पाया था। इस मामले में कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि राज्य सरकार इन कर्मचारियों को उनके एरियर का भुगतान करेगी। कैबिनेट में चौथा निर्णय उत्तराखंड साहूकारी विनियमन नियमावली 2018 को मंजूरी के रूप में हुआ है। नियमावली की मंजूरी से साहूकारों को लाइसेंस लेने में आसानी हो जाएगी।

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