एटीएम, पास बुक प्रिटिंग मशीन खराब होना बनी आम बात, ग्राहको से लगवाये जाते है चक्कर
देहरादून। वेतन बढ़ाया जाए, इस दिन भी बैंक कार्मिकों को अवकाश मिले, जैसी मांगो को तो बैंक संगठन समय-समय पर जोरदार ढंग से उठाते रहते है, लेकिन ग्राहको को अनावश्यक परेशान करने के साथ ही बैकिंग व्यवस्था में सुधार शायद ही कभी उनके द्वारा की जाती हो। बैंक व कार्मिको के रवैये से ग्राहक भले परेशान होता हो, लेकिन उन्हे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
जी हां यह सच है। बैंक कार्मिक अपनी सुविधाओं की मांगो को तो जोरदार ढंग से उठाते है, लेकिन ग्राहको को लेकर अपनी कार्यशैली में सुधार करने को जरूरी नहीं समझते। ग्राहक यदि परेशान होता हो, तो होने दो, उनकी बला से। यहां हम बात कर रहे है प्रमुख बैकों में शामिल पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की, जहां ग्राहको को लेकर बैंक अधिकारियों द्वारा दावे तो उच्च स्तर के किये जाते है, लेकिन धरातल पर स्थिति इसके विपरीत है। ऐसी ही स्थिति फिलहाल जनपद देहरादून में पीएनबी की आढ़त बाजार शाखा में देखी जा सकती है, जहां कार्मिक यां तो जानकारी के अभाव में ग्राहको से उलझते नजर आते है या फिर बैंक की आंतरिक तकनीकी खामियों के कारण ग्राहक परेशान दिखायी पड़ता है।
शहर के बीच में स्थित पीएनबी की इस शाखा में कार्मिकों द्वारा पूरी जानकारी एक बार में देने के स्थान पर ग्राहको को बेवजह दौड़ाया जाता है, वहीं एटीएम, पास बुक प्रिटिंग मशीन का बार-बार खराब हो जाना अथवा बैंक की आतंरिक तकनीकी खामियां होना भी आम बात सी हो गयी है। ग्राहको को लेकर पीएनबी आढ़त बाजार शाखा के कार्मिको की कार्यशैली का एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां बैंक कार्मिक द्वारा समस्या समाधान अथवा एक बार में ही जानकारी देने के स्थान पर ग्राहक को बेवजह दौड़ाने का काम किया गया।
बताया जाता है कि बैंक की प्रिंटिग मशीन की खामी के कारण एक ग्राहक की पासबुक में उसकी जानकारी हल्के में छपी। जब इस ग्राहक द्वारा पासबुक की फोटो प्रति का उपयोग अन्य जगह किया गया तो वहां से उसे पासबुक में जानकारी सही प्रिंट करवाने अथवा खाता स्टेटमेंट लाने को कहा गया। बैंक द्वारा ग्राहक को पहले दिन तो चलता कर दिया, दूसरे दिन एक-आध दिन में स्टेटमेंट ले जाने की बात कही, लेकिन तीसरे दिन स्टेटमेंट देने से मना करते हुए पहले आवेदन करने की बात कही गयी।
इस दौरान ग्राहक व बैंक कार्मिक के बीच गहमा-गहमी हुई तो बैंक कार्मिक पहले तो ग्राहक की ही गलती निकालने लगे, बाद में समस्या का समाधान करवाने के लिए शाखा प्रबंधक के पास भेज दिया। हालांकि शाखा प्रबंधक के स्तर पर ग्राहक की समस्या का समाधान तो हो गया, लेकिन जिन कार्मिकों को यह काम पहले दिन ही कर देना चाहिए था उनके द्वारा ग्राहक से जिस तरह चक्कर लगवाये गये, वह कही न कही बैंक कार्मिको की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है।