वैश्विक चेतना का उदय ही आज की सबसे बड़ी जरूरत: स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश,(गढ़वाल का विकास न्यूज)। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ’’मानवता, वैश्विक शांति, सौहार्द, एकता, पृथ्वी का संरक्षण, प्रेम और करूणा के लिये ‘वैश्विक चेतना का उदय’ ही आज की सबसे बड़ी जरूरत है। वैश्विक चेतना के उदय से दुनिया में श्रेष्ठ और सकारात्मक परिवर्तन किया जा सकता है। समाज के भीतर एक नई चेतना का उदय होगा, जिससे सम्पूर्ण मानवता और अपने ग्रह का उत्थान किया जा सकता है।’’

वैश्विक चेतना दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि वैश्विक चेतना के उदय के लिये आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों पृष्ठभूमि के आधार पर चितंन कर युवा पीढ़ी को इससे जोड़ना होगा, तभी इस ओर विलक्षण परिवर्तन किया जा सकता है। मानवता, धरती माता और वैश्विक शान्ति की स्थापना हेतु प्रत्येक मनुष्य को अपने मूल संस्कारों और मूल्यों से जुड़ना होगा। अपने कर्तव्यों का निष्पक्ष और बेहतर रूप से निर्वहन कर नैतिकता के आधार पर मानवीय गतिविधियों और क्रियाकलापों का निर्धारण करना होगा।

आज का मनुष्य नैसर्गिक रूप से निर्धारित सीमाओं के भीतर जीवन यापन नहीं करना चाहता और दिन प्रतिदिन वह इन सीमाओं के अन्दर रहने की क्षमताओं को खोता जा रहा है इसलिये कोरोना वायरस और स्वास्थ्य से जुड़े अन्य संकट उत्पन्न हो रहे हैं। अगर ऐसे ही चलता रहा तो मानवता का अस्तित्व संकटग्रस्त हो सकता है। वर्तमान समय में तो पृथ्वी का अस्तित्व भी दाँव पर लगा हुआ है। हम सभी अपनी चेतना को जागृत कर बेहद महत्त्वपूर्ण एवं सकारात्मक बदलावों का हिस्सा बन सकते हैं।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि पृथ्वी, मानव के अस्तित्व का आधार है और मानव जीवन का महत्वपूर्ण केंद्र भी है। मानव व्यवहार और जीवनशैली के कारण मानवीय मूल्यों और पर्यावरण को भारी क्षति पहुंची है। अब अपने व्यवहार में सकारात्मक बदलाव कर सचेत और जागरूक होकर कार्य करना होगा। महात्मा गांधी कथन है “हम दुनिया में जो भी बदलाव लाना चाहते हैं, उसे पहले हमें खुद पर लागू करना चाहिये।“ हमें आज अपनी चेतना को जागृत कर सकरात्मक बदलाओं को करने और उन्हें आत्मसात करने की ओर कदम बढ़ाना होगा।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य इस ब्रह्मांड की चेतना और प्राणतत्व है इसलिये उसे मानवता और पृथ्वी का प्रहरी बनकर कार्य करना होगा। मनुष्य ही मानवता और पृथ्वी को स्वच्छ, स्वस्थ और जीवंत रखने में महत्वपूर्ण योगदान दें सकता हैं।

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