उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड ने “जादुंग” को नए पर्यटन स्थल के रूप में किया घोषित

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस पहले गांव के लिए 25 सदस्यीय प्रथम एफएएम यात्रा को झंडी दिख कर रवाना किया

देहरादून 21 अप्रैल, गढ़वाल का विकास डॉट कॉम। उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) ने उत्तराखंड राज्य में अगले पर्यटन स्थल के रूप में उत्तरकाशी के एक पुराने सीमावर्ती गांव “जादुंग” की घोषणा की है, जो तिब्बत सीमा का पहला गांव है। जादुंग उन पांच गांवों में से पहला है, जिनका न सिर्फ पुनर्वास किया जाएगा (भारत-चीन युद्ध के दौरान स्थानीय लोगों को विस्थापित किया गया था), बल्कि इस क्षेत्र को एस्ट्रो टूरिज्म, ट्रेकिंग, हाइकिंग, नेचर कैंप और के लिए एक स्थायी पर्यटन स्थल बनाने में भी मदद करेगा। जनजातीय संस्कृति दूसरों के बीच में।

समय के साथ जमे हुए और लुभावने हिमालय के बीच बसा एक गाँव, जादुंग भारत तिब्बत सीमा पर पहला गाँव है और हरी-भरी घाटी के लिए अपने बर्फ से ढके पहाड़ों के साथ बेजोड़ प्राकृतिक सुंदरता का दावा करता है। लगभग 3800 मीटर की ऊंचाई पर और हरसिल से लगभग 45-50 किलो मीटर की दूरी पर स्थित जादुंग एक चित्र-परिपूर्ण परिदृश्य प्रदान करता है। यह गांव स्थायी और जिम्मेदार पर्यटन के माध्यम से सीमावर्ती गांवों को विकसित करने के राज्य के प्रयासों का एक वसीयतनामा है, जो जीवंत सीमावर्ती गांवों के निर्माण के केंद्र सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने आज जनपद देहरादून अवस्थित एक स्थानीय होटल से ‘‘जादोंग, फैम ट्रिप’’ के तहत 25 सदस्यों के दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर पर मंत्री महाराज ने कहा कि राज्य के सीमान्त क्षेत्रों को पर्यटन से जोड़ने तथा ऐसे क्षेत्रों में सक्रियता बढाने के प्रयास राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे। कहा कि राज्य के सीमान्त जो जादोंग जैसे और भी गांव है, जहां पर्यटन के परिदृश्य से विकसित किया जाएगा तथा की सक्रियता बढेगी, जो पलायन हुआ वह वापस लौटेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य के ऐसे सुदुर गांव को दिखाने की जरूरत है, जिससे वहां पर्यटन की सक्रियता बढे।

मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि राज्य में कई ऐसे ऐतिहासिक, आश्चर्यजनक स्थल है, जो आदी अनादिकाल से अपना इतिहास संजौए हुए हैं, जिन्हे पर्यटन के लिए खोलने की आवश्यकता है सरकार इस क्षेत्र में कार्य कर रह ही है। पर्यटन की दृष्टि से ऐसे क्षेत्रों में सुविधाएं बढाने का प्रयास किया जा रहा है। कहा कि जादोंग एक पुराना गांव है जिसमें जनजाति आबादी रहती थी और जो 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान खाली हो गया था, तथा तब से वैसा ही है। वर्तमान में गांव को फिर से आबाद करने के प्रयास चल रहे हैं। यह लगभग 3800 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। गंगोत्री रूट से डायवर्जन पर हरसिल से 45-50 किमी दूर एस्ट्रो टूरिज्म सहित विशेष रुचि वाले पर्यटन के लिए अत्यधिक आश्यर्यजनक और संभावित स्थल है। उन्होंने कहा कि जादुंग अपनी प्राकृतिक सुंदरता के अलावा विशेष रुचि वाले पर्यटन का केंद्र भी है। एस्ट्रो पर्यटन के प्रति उत्साही आश्चर्यजनक रात के आकाश को देख सकते हैं, जो प्रकाश प्रदूषण से मुक्त है और तारों को देखने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है। इस पहल में यूटीडीबी की भागीदारी न केवल जादुंग में पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करेगी बल्कि इस क्षेत्र में स्थायी पर्यटन प्रथाओं को भी प्रोत्साहित करेगी, जिससे स्थानीय पर्यावरण, संस्कृति और समुदाय का संरक्षण होगा।

यह दल आज से राज्य के गढवाल मण्डल क्षेत्र के सीमान्त गावं में भ्रमण कर 24 अपै्रल 2023 को जनपद देहरादून पंहुचेगा। इस दौरान ग्रामीण पहाड़ी गांवों के अनुभव के साथ सुंदर हिमालयी परिदृश्य के बीच 05 किलोमीटर की परिधि में हरसिल, बागोरी, मुखवा और धराली 04 गांव होते हुए गंगोत्री के रास्ते में भागीरथी नदी के तट पर स्थित हरसिल एक हिमालयी स्वर्ग, एक छोटा सा गाँव, पर्यटक हिल स्टेशन, बागोरी पारंपरिक घरों और ग्रामीण हिमालयी सेटिंग के साथ हर्सिल, मुखवा गंगोत्री धाम की प्रमुख देवी मां गंगा की शीतकालीन गद्दी, मुखवा से लामा टिकरी आदि पारंपरिक स्थानो, धराली प्राचीन कल्प केदार मंदिर आदि स्थलों का भ्रमण कर 24 अपै्रल 2023 को जनपद देहरादून पंहुचेगा। 25 सदस्यों के दल में विभिन्न साहसिक पर्यटन उद्योग विशेषज्ञ, खगोल पर्यटन विशेषज्ञ, मीडिया और पर्यटन मंत्रालय और यूटीडीबी के अधिकारी शामिल हैं। टीम उत्तरकाशी जिले उत्तरांचल में हरसिल, बागोरी, मुखवा, धराली और नेलोंग घाटी का भी दौरा करेगी।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड पर्यटन विकास बोर्ड की एसीईओ डाॅ0 पूजा गबरियाल, अपर निदेशक यूटीडीबी पूनम चन्द्र, साहसिक खेल अधिकारी सीमा नौटियाल सहित पर्यटन विभाग के सम्बन्धित अधिकारी/कार्मिक उपस्थित थे।

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