सुपाइन पी.सी.एन.एल तकनीक से गुर्दे की सर्जरी

उत्तराखण्ड में पहली बार हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर निकाली गुर्दे की पथरी
देहरादून, (गढ़वाल का विकास न्यूज)। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की उपलब्धियों में एक नगीना और जुड़ गया है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के यूरोलाॅजिस्ट डाॅ विमल कुमार दीक्षित ने एडवांस तकनीक सुपाइन पी.सी.एन.एल. से 6 मरीजों की पथरी की सफल सर्जरी की है। उत्तराखण्ड में सुपाइन पी.सी.एन.एल. तकनीक से सफल आॅपरेशन का यह पहला मामला है।
इंटरनेशनल जर्नल ट्रांसलेशन एण्ड्रोलाॅजी एण्ड यूरोलाॅजी जर्नल (सितम्बर 2019) के अनुसार विश्वभर में केवल 20 प्रतिशत पथरी के आॅपरेशन ही सुपाइन पी.सी.एन.एल. तकनीक से किये जाते हैं। भारत में अभी इस तकनीक से सर्जरी करने वाले डाॅक्टरों का प्रतिशत 2 से 3 प्रतिशत है। सुपाइन पी.सी.एन.एल. तकनीक से सर्जरी करने पर यूरोलाॅजी सोसाइटी से जुड़े डाॅक्टरों ने डाॅ विमल कुमार दीक्षित को बधाई दी है।

डाॅ विमल कुमार दीक्षित, डी‐एन‐बी‐, यूरोलाॅजिस्ट ने कहा कि सभी मरीजों की सर्जरी सफल रही। विदेशों में इस तकनीक को बहुत अच्छा रिस्पांस मिला है। उत्तराखण्ड में पथरी के मरीजों का सर्जरी के दौरान इस तकनीक से बड़ी राहत मिलेगी। युवा यूरोलाॅजिस्ट को इस तकनीक की ट्रेनिंग दी जाएगी जिससे वे भी इस तकनीक से मरीजों की सर्जरी सुगमतापूर्व कर पाएं।
क्या है सुपाइन पी.सी.एन.एल. तकनीक:- सुपाइन पी.सी.एन.एल. तकनीक पथरी के आाॅपरेशन करने की सुपर माॅर्डन तकनीक है। इस तकनीक में मरीज़ को आपरेशन के दौरान पेट के बल लिटाए जाने के बजाय कमर के बल लिटाकर आपरेशन किया जाता है। इस तकनीक में पेट के बल गुर्दे से पथरी निकालने के लिए डाॅक्टर को विशेष एंगल साधना पड़ता है। इस विधि से आपरेशन करने वाले डाॅक्टर के लिए आपरेशन का लंबा अनुभव होने के साथ ही इस तकनीक पर कुशल कमांड भी होनी चाहिए।
सुपाइन पी.सी.एन.एल. तकनीक व सामान्य पथरी की सर्जरी में अंतर
आमतौर पर गुर्दा रोग शल्य चिकित्क पथरी की सर्जरी में मरीज़ को पेट के बल लिटाकर कमर के रास्ते से गुर्दे तक पहुंचते हैं व पथरी निकालते हैं। पारंपरिक विधि में बेहोशी देने के बाद पेट के बल लिटाए जाने से कई मामालों में मरीज़ को फेफड़ों में दबाव महसूस होता है, सांस लेने में परेशानी होती है, रक्तचाप अनियंत्रित हो जाता है व मरीज़ असहज़ हो जाता है। इस कारण कई बार चिकित्सक को सर्जरी टालनी भी पड़ती है। बेहोशी के बाद मरीज़ की पाॅजीशन बदलने के दौरान शरीर की विभिन्न हड्डियों के फ्रेक्चर का खतरा रहता है, आसपास के अंगों में जैसे फेफडे में चोट पहुंच सकती है, पीठ के रास्ते सर्जरी करने के बाद मरीज़ को लंबे समय तक दर्द रहता है।
सुपाइन पी.सी.एन.एल. तकनीक से की जानी वाली सर्जरी में मरीज़ को कमर के बल लिटाया जाता है। बेहोशी के बाद मरीज़ की पोजिशन को बदलने की आवश्यकता नहीं होती है, साथ ही साथ यूरेटर में यदि कोई पथरी फंसी हो तो उसी समय फंसी पथरी को आसानी से निकाला जा सकता है। इस तकनीक में बेहोशी के खतरे बहुत कम होते हैं। पारंपरिक तकनीक से की जाने वाली सर्जरी की तुलना में इस तकनीक से की गई सर्जरी से मरीज़ को आपरेशन बाद होने वाला दर्द भी बहुत कम रहता है।

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