निरंकार से जुड़कर सुखद बनाया जा सकता हैं मनुष्य जीवन : मोलूराम आर्य

देहरादून। निरंकार ही वह परम सत्ता है जिससे जुड़कर मनुष्य जीवन को सुखद बनाया जा सकता हैं। यह जानकारी सद्गुरु ही प्रदान करता है। संसार में हर एक प्राणी, एक निर्गुण निरंकार की संतान है और जब तक अपने परमपिता परमात्मा से जुड़ जाता है तो जीवन में आनन्द का एहसास होने लगता है। उक्त उद्गार सन्त निरंकारी मण्डल के तत्वाधान में आयोजितसत्संग कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ज्ञान प्रचारक मोलूराम आर्य ने आयी हुई साध संगत को सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का आर्शीवचन प्रदान करते हुए व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि ज्ञान की रोशनी से हमारे मन मस्तिष्क में दिव्य गुणों की उत्पत्ति होती है। जिससे जीवन में दया करुणा, प्रेम, नम्रता, मिलवर्तन के गुण आचरण में आने लगते है। जिससे हमारे हृदय में मननीय गुणों के भाव बढ़ने लगते  हैं। सद्गुरु प्रत्येक इंसान के जीवन से भक्ति के भाव बढ़े। यह तभी हो सकता है  जब वह निरंकार परमात्मा की पहचान लेता है। उन्होंने कहा कि गुरुसिख सदा अपने सद्गुरु पर विश्वास करता है और उसकी रजा में रहकर हर पल अपने परमात्मा का शुक्राना करता है। जिससे उसके जीवन में सकारात्मक विचार धारा आती हैं। वह मानवीय गुणों से भरपूर होता चला जाता है। दम-दम, पल-पल वह सद्गुरु के वचनों को सदा धारण करके अपने जीवन को सुखमय बनाता
है। गुरुसिख को हर पल मानवता के कल्याण के लिए जीवन निछावर करता है। सत्संग समापन से पूर्व अनेकों प्रभु-प्रेमियों, भाई-बहनों एवं नन्हे-मुन्ने बच्चों ने गीतों एवं प्रवचनों के माध्यम से निरंकारी माता सुदीक्षा जी महाराज की कृपाओं का व्याख्यान कर संगत को निहाल किया। मंच का संचालन विनोद धीमान ने किया।

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