गुरबत में जीवन बिता रहे महान अन्वेषक सर्वेयर पं. नैनसिंह रावत के वंशज

वंशजों के पास आजीविका का कोई साधन नहीं‚ बैंक भी टैक्सी का बकाया 19 लाख रु का लोन वसूलने की तैयारी में,
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की मुनस्यारी तहसील के मदकोट गांव में रहते हैं पं.नैनसिंह रावत के परिजन
देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। पैदल सर्वेक्षण कर दुनिया को तिब्बत का पहला नक्शा देने वाले और ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम खोजने वाले 19वीं सदी के महान अन्वेषक एवं सर्वेक्षक पंडित नैन सिंह रावत के वंशज आज गुरबत में जीवन बिता रहे हैं। 21अक्टूबर 1830 को मुनस्यारी के गोरीपार क्षेत्र मे भटकुरा गांव में जन्मे पं. नैनसिंह दुनिया के पहले सर्वेक्षक थे‚ जिन्होंने तिब्बत और मध्य एशिया का नक्शा बनाकर दुनिया के सामने पेश किया।
21 अक्टूबर 2017 को पंडित नैन सिंह रावत के 187वें जन्मदिवस पर गूगल ने उनपर गूगल डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। पं. नैन सिंह रावत सर्वे ऑफ इंडि़या से सेवानिवृत्ति के बाद अपने पैतृक गांव मदकोट मे रहने लगे। आज उनकी पांचवी पीढ़ी गुरबत में जिंदगी बिता रही है। वर्ष 2000 में पं. नैन सिंह के पांचवीं पीढ़ी के कुंदन सिंह की मृत्य होने तक यह परिवार सुखी जीवन जी रहा था। लेकिन जब उनकी मौत हुई तब उनके तीनों बेटे नाबालिग व बिना मां के थे। तब उनकी दादी द्रौपदी देवी जो अब 90 साल की हैं‚ ने तीनों के लालन–पालन की जिम्मेदारी खुद पर ले ली। दुर्भाग्य से 2014 मे सबसे छोटे पोते मनोज का अकस्मात निधन हो गया। 2017 मे दूसरे पोते वीरेंद्र का भी देहांत हो गया। दो नातियों के युवावस्था में देहांत हो जाने के बाद परिवार का सारी जिम्मेदारी कवीन्द्र रावत (कब्बू) के कंधों पर आन पड़ी।
कवीन्द्र परिवार की जिम्मेदारियों निभाने के लिए टैक्सी चलाते थे। दुर्भाग्य ने परिवार का पीछा नहीं छोड़़ा और अगस्त 2019 मे एक दुःखद सड़क हादसे मे कवीन्द्र का भी युवा अवस्था में ही निधन हो गया। कवीन्द्र की मृत्य के बाद‚ परिवार में उसकी पत्नी कमला रावत‚ तीन साल व सात साल के दो बेटे व बूढी बीमार दादी रह गए हैं। परिवार के पास आजीविका का साधन नहीं है और स्व. कवींद्र रावत ने टैक्सी के लिए बैंक से जो कर्ज लिया था‚ उसका भुगतान भी उनकी मौत के बाद नहीं हो पाया है। बैंक अपने बकाया करीब 19 लाख रु कर्ज को वसूलने के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू कर रहा है। ऐसे में संकट बढ़ गया है।
पं. नैनसिंह को उनके योगदान के लिए ब्रिटिश शासन ने किया था अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित 
पं. नैनसिंह रावत ने सबसे पहले नेपाल से लेकर तिब्बत तक के ट्रेड़ रूट का सर्वे किया। उन्होंने तिब्बत की राजधानी ल्हासा की भौगोलिक स्थिति निर्धारित की और ब्रह्मपुत्र के उद्गम की भी खोज की। उन्होंने पूरे तिब्बत और मध्य एशिया को पैदल नाप ड़ाला था। उनके इस महान काम के लिए उन्हें रॉयल जियोग्राफिकल सोसायटी लंदन का सर्वोच्च सम्मान पैट्रन्स गोल्ड़ मेड़ल से नवाजा गया। तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान कंपेनियन ऑफ द ऑर्ड़र ऑफ द इंडि़यन एंपायर से नवाजा। रॉयल जियोग्राफिकल सोसायटी लंदन व पेरिस जियोग्राफिकल सोसायटी ने उन्हें एक–एक सोने की घड़़ी भी दी। 2004 में भारत सरकार ने उनकी स्मृति में ड़ाक टिकट भी जारी किया था।
मुंबई निवासी ड़ॉ. प्रयाग रावत ने शुरू  की परिवार की मदद के लिए मुहिम 
मुंबई निवासी ड़ॉ. प्रयाग रावत ने पं. नैनसिंह के वंशजों की की मदद के लिए मुहिम शुरू की है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे द्रौपदी देवी के उत्तराखंड़ ग्रामीण बैक की मदकोट शाखा के अकाउंट में मदद दें। द्रौपदी देवी का अकाउंट No- 76000442423 है‚ व IFSC code-SBIN 0 RRUTGB है। मदद के इच्छुक लोग ड़ॉ. प्रयाग रावत से उनके नंबर 9833448998 पर  भी संपर्क कर सकते हैं।

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