उत्तराखंड: पेट्रोल पर वैट से 11 वर्षों में सरकार की हुई पांच गुना कमाई

2005-06 से मई 18 तक सरकार ने पेट्रोल डीजल पर वसूला 9713 करोड़ रू. टैक्स
देहरादून। जैसे-जैसे पेट्रोल व डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी होती है, वैसे वैसे सरकारों की कमाई में भी वृद्धि होती है। राज्य सरकार जहां वैट वसूलती है वहीं केन्द्र सरकार एक्साइज उत्तराखंड सरकार को भी पेट्रोल डीजलं के दामों में बढ़ोत्तरी से फायदा हो रहा है। 2005-06 से मई 2018 तक सरकार ने अकेले पेट्रोल व डीजल से 9713 करोड़ रूपये टैक्स वसूला है। पेटोल के टैक्स का राजस्व 2007-08 के मुकाबले 2017-18 में पांच गुना से अधिक बढ़ा है जबकि डीजल का कर राजस्व इन 11 सालों बढ़कर तिगुने से अधिक हो गया है। यह खुलासा सूचना अधिकार के अन्तर्गत राज्यकर मुख्यालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ है।
सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने राज्य कर मुख्यालय से पेट्रोलियम पदार्थों पर प्राप्त टैक्स सम्बन्धी सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी/आयुक्त राज्य कर मुख्यालय देहरादून ने मई 2018 तक के पेट्रोल व डीजल पर राज्यकर से प्राप्त धनराशियों की सूचना उपलब्ध करायी है। उपलब्ध सूचना के अनुसार 2005-06 में पेट्रोल व डीजल पर 320.33 करोड़ रूपये टैक्स मिला जो 2006-07 में 383.70 करोड़, 2007-08 में 390.20 करोड़, 2008-09 में 429.98 करोड़, 2009-10 में 447.67 करोड़, 2010-11 में 612 करोड़, 2011-12 में 714.96 करोड़, 2012-13 में 780.65 करोड़, 2013-14 में 973.15 करोड़, 2014-15 में 1075.18 करोड़, 2015-16 में 1206.1 करोड़, 2016-17 में 1361.46 करोड़, 2017-18 में 1453.81 करोड हो गया। वर्ष 2018-19 में मई 2018 तक केवल दो माह में रू. 268.24 करोड़ का टैक्स मिला है जो पिछले वर्ष से अनुपातिक रूप से अधिक है। इस प्रकार 2005-06 के मुकाबले में 2012-13 में सरकार की कमाई 244 प्रतिशत हो गयी, 2013-14 में 304 प्रतिशत, 2014-15 में 336 प्रतिशत, 2015-16 में 377 प्रतिशत 2016-17 में 425 प्रतिशत तथा 2017-18 में 454 प्रतिशत हो गयी है।
उपलब्ध सूचना के अनुसार पेट्रोल के मामले में डीजल की अपेक्षा सरकार की कमाई में अधिक प्रतिशत वृद्धि हुई है। 2007-08 में जहां पेट्रोल से केवल 128.68 करोड़ टैक्स मिला है 2017-18 में 658.50 करोड़ रूपये टैक्स मिला है जो 2007-08 के मुकाबले 512 प्रतिशत है। पेट्रोल से मिलने वाला टैक्स 2011-12 में 2007-08 के मुकाबले 233 प्रतिशत, 2012-13 में 241 प्रतिशत, 2013-14 में 294 प्रतिशत, 2014-15 में 311 प्रतिशत, 2015-16 में 382 प्रतिशत, 2016-17 में 461 प्रतिशत, 2017-18 में 512 प्रतिशत हो गया है। 2018-19 में मई 2018 तक केवल दो माह का टैक्स 123.44 करोड़ रूपये है जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक है। उपलब्ध सूचना के अनुसार डीजल से सरकार को टैक्स मिलने में पेट्रोल की अपेक्षा कम प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है। 2007-08 में जहां डीजल से 261.53 करोड़ रूपये राजस्व मिला था, वहीं 2017-18 में इसका 304 प्रतिशत 795.31 करोड़ रूपये का राजस्व मिला है। डीजल से मिला टैक्स 2013-14 में 2007-08 के मुकाबले 228 प्रतिशत, 2014-15 में 258 प्रतिशत, 2015-16 में 273 प्रतिशत, 2016-17 में 294 प्रतिशत तथा 2017-18 में 304 प्रतिशत हो गया है। 2018-19 में मई 2018 तक केवल दो माह का टैक्स 144.80 करोड़ रूपये है जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक है।
श्री नदीम के अनुसार यदि सरकार पेट्रोल व डीजल पर प्रतिशत के स्थान पर एक निश्चित दर रू. 5 प्रति लीटर टैक्स वसूले तोे पेट्रोल डीजल के दामों में 10 से 12 रू. प्रति लीटर की कमी हो जायेगी और टैक्स राजस्व भी 2007-08 के मुकाबले अधिक ही प्राप्त होगा। आम आदमी की पेट्रोल डीजल की मंहगाई की मार का सबसे अधिक फायदा केन्द्र व राज्य सरकारों को हो रहा है और तेल के दाम बढ़ने से यह स्वतः ही बढ़ता जा रहा है।

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