देहरादून। राज्य में डॉक्टरों की भारी कमी को देखते हुए प्रदेश सरकार अब किसी भी डॉक्टर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति नहीं देगी। सचिव स्वास्य नितेश झा ने स्वास्य विभाग के अधिकारियों के साथ प्रदेश में स्वास्य एवं चिकित्सा सेवाओं के गुणवत्तापरक सुधार को लेकर बैठक की।
उन्होंने स्वास्य विभाग के अधिकारियों को अस्पतालों में चिकित्सकों व अन्य कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए उपस्थिति अनिवार्य करने के लिए बायोमीट्रिक मशीनें लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य के करीब 200 डॉक्टर प्रशासनिक पदों पर काम कर रहे हैं, उनको डॉक्टरी परामर्श व इलाज का काम भी करना चाहिए ताकि डॉक्टर होने के नाते वे समाज के प्रति अपने दायित्व को निभा सकें और उनकी योग्यता का लाभ प्रदेश की जनता को मिले। उन्होंने स्वास्य एवं चिकित्सा महानिदेशक को खुद इसकी पहल करने का सुझाव दिया।
नितेश झा ने निर्देश दिए कि महानिदेशालय के वरिष्ठ यानी निदेशक स्तर के अधिकारियों को दो-दो अस्पताल आवंटित किए जाएं ताकि वे हर महीने उनकी सघन मॉनीटरिंग कर उनमें उपचार की गुणवत्ता में सुधार के प्रयास कर सकें। उन्होंने डॉक्टरों की नियुक्ति युक्तिसंगत करने के भी आदेश दिए और कहा कि रोस्टर के आधार पर एक हफ्ते या 15 दिन विशेषज्ञ व वरिष्ठ डॉक्टरों को दूरस्थ अस्पतालों में सेवाएं देने के लिए भेजने की व्यवस्था की जाए ताकि डॉक्टर अपनी इच्छा से ऐसे अस्पतालों में लोगों का इलाज कर सकें। बैठक में स्वास्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ. अर्चना श्रीवास्तव, चिकित्सक चयन आयोग के अध्यक्ष डॉ.आरपी भट्ट, विभाग के तमाम अधिकारी मौजूद रहे।