आर्थिक विकास युद्ध जैसे हालातों में संभव नहीं: उप राष्ट्रपति

– हमारा लक्ष्य है 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनना, इसके लिए सीमाओं पर शांति आवश्यक,

– राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सशक्त राष्ट्रवाद और निरंतर तैयारी आवश्यक है,

– कोई प्रमाण नहीं माँग रहा… सैनिकों द्वारा लाए गए ताबूतों ने सारी दुनिया को सच्चाई दिखा दी -ऑपरेशन सिंदूर पर बोले उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली। उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा, “हमारा लक्ष्य है कि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र, विकसित भारत बने। इसके लिए प्रति व्यक्ति आय में आठ गुना वृद्धि आवश्यक है। यह तभी संभव है जब हमारे सीमाओं पर शांति हो। आर्थिक विकास युद्ध जैसे हालातों में नहीं हो सकता। विकास और प्रगति के लिए शांति अनिवार्य है। शांति आती है शक्ति से — सुरक्षा की शक्ति, आर्थिक शक्ति, विकास की शक्ति और राष्ट्रवाद के प्रति गहरी, अटूट और निस्वार्थ प्रतिबद्धता से। मैंने कई अवसरों पर यह दोहराया है, और आज फिर दोहराता हूँ — राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए राष्ट्रवाद के प्रति अडिग और अटल प्रतिबद्धता और निरंतर तैयारी आवश्यक है।”

श्री धनखड़ ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सराहना करते हुए कहा, “जब 22 अप्रैल को पहलगाम में पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी दुस्साहस किया गया, तब भारत ने बेहद प्रभावी तरीके से जवाब दिया। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के मुरीदके और बहावलपुर स्थित ठिकानों को सटीकता से निशाना बनाया गया, जिससे पूरी दुनिया को एक स्पष्ट संदेश मिला। यह संदेश प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की धरती से दिया — अब आतंकवाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सजा दी जाएगी, और सजा उदाहरण बनेगी। यह हमला अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार गहराई में हुआ, पर भारत के सिद्धांतों के अनुरूप केवल आतंकवादियों को निशाना बनाया गया। कोई सबूत नहीं मांग रहा, क्योंकि आतंकवादियों के ताबूत स्वयं सबूत बनकर पूरी दुनिया के सामने आए — उन्हें उस देश की सेना, राजनीति और आतंकवादी खुद ले जा रहे थे। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के इतिहास में एक अभूतपूर्व उपलब्धि है।”

“तेजी से बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में जहां वैश्विक व्यापार, सामरिक चोक प्वाइंट्स, साइबर खतरे और अंतरराष्ट्रीय अपराध आपस में जुड़े हैं, समुद्र में नियम आधारित व्यवस्था को लागू करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। यह अत्यंत आवश्यक है कि समुद्रों में नियम आधारित व्यवस्था बनी रहे। भारत की समुद्री सुरक्षा लचीली, सक्रिय और भविष्य के लिए तैयार होनी चाहिए। हमें शिपबिल्डिंग में तेजी लानी होगी और इसमें नेतृत्व करना होगा। मुझे लगता है कि हम अपने माल का लगभग 70% मूल्य के हिसाब से समुद्र के रास्ते ले जाते हैं। मांग और बढ़ेगी क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था अब छलांग नहीं, बल्कि क्वांटम जंप कर रही है। हमें इसके लिए तैयार रहना होगा।”

गोवा के मोरमुगाओ बंदरगाह में 3 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र, दो हार्बर मोबाइल क्रेन और कोयला हैंडलिंग के लिए कवर डोम के वाणिज्यिक परिचालन का उद्घाटन करते हुए श्री धनखड़ ने कहा, “आज का भारत वैश्विक आर्थिक शक्ति और समुद्री शक्ति दोनों के रूप में उभर रहा है, जो शांति, सतत विकास और प्रगति के प्रति प्रतिबद्ध है। हम पहले ही दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक अग्रणी शक्ति के रूप में उभर रहे हैं। हमारे समुद्र आज हमारे लिए पहले से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण हैं — आर्थिक दृष्टि से, सुरक्षा के लिए और व्यापार को बनाए रखने के लिए।”

श्री धनखड़ ने कहा, “आज लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत वाली तीन परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की गईं। नरेंद्र मोदी सरकार की एक विशेषता है — वे समर्पण करते हैं, मतलब काम को तेजी से पूरा करते हैं। प्रधानमंत्री का जुनून विकास के लिए है; विकास उनका मिशन है। वे तेज और बड़े पैमाने पर निष्पादन में विश्वास करते हैं। आज जिन परियोजनाओं को समर्पित किया गया है, वे भारत की बदलती छवि को परिभाषित करती हैं।”

विझिंजम पोर्ट के उद्घाटन को याद करते हुए उन्होंने कहा, “मैंने केरल में जो देखा वह सहकारी संघवाद का एक उत्कृष्ट उदाहरण था — प्रधानमंत्री स्वयं वहां उपस्थित थे, विभिन्न राजनीतिक दलों के मुख्यमंत्री वहां मौजूद थे, और एक प्रमुख निजी क्षेत्र की भागीदारी ने इस परियोजना को साकार किया।”

भारतीय तटरक्षक बल की सेवा और समर्पण की प्रशंसा करते हुए श्री धनखड़ ने कहा, “आज का दिन मेरे लिए विशेष है। जब मैं पश्चिम बंगाल का राज्यपाल था — एक ऐसा राज्य जो चक्रवातों से ग्रस्त रहता है — मैंने तटरक्षक बल की निष्ठा, प्रदर्शन और समर्पण को करीब से देखा। आप लोगों का जीवन आसान नहीं है, परिस्थितियाँ कठिन हैं, खतरे अनेक हैं। लेकिन आपकी सेवा और समर्पण सुनिश्चित करता है कि संकट की घड़ी में समुद्र में कोई मृत्यु न हो। पश्चिम बंगाल में जब भी चक्रवात आए, समुद्र में शून्य मृत्यु दर रही — यह आपके समर्पण का परिणाम है।”

“आप हमारे समुद्री प्रहरी हैं — आप केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि हमारी अंतरात्मा भी हैं। हमारे समुद्र पृथ्वी के फेफड़े हैं — जलवायु को नियंत्रित करते हैं, जैव विविधता को सहारा देते हैं। आप लक्षद्वीप के कोरल रीफ्स, सुंदरबन के मैंग्रोव्स, ओलिव रिडले कछुओं के प्रजनन स्थल और समुद्री जीवों के प्रवासन मार्गों की रक्षा करते हैं। आप अवैध मछली पकड़ने, प्रदूषण और जहरीले अपशिष्टों से समुद्र को सुरक्षित रखते हैं।”

कार्यक्रम के इस अवसर पर गोवा के राज्यपाल श्री पी. एस. श्रीधरन पिल्लई, मुख्यमंत्री श्री प्रमोद सावंत, केंद्रीय राज्य मंत्री श्री शान्तनु ठाकुर, सचिव (पोर्ट्स, शिपिंग और जलमार्ग) श्री टी. के. रामचंद्रन, भारतीय तटरक्षक बल के अधिकारी, पोर्ट अथॉरिटी के अधिकारी और अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। (PIB)

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