देहरादून। महानिदेशक शिक्षा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने एनसीईआरटी की किताबों के सामानान्तर किताबें लगाने की अनुमति का फायदा उठा महंगी किताबें लगाने वाले 181 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में स्कूलों की एनओसी रद्द करने की कार्यवाही अमल में लाने और हाईकोर्ट को उनकी मनमानी से अवगत कराने को कहा गया है। हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना के दोषी विद्यालयों में सबसे ज्यादा हरिद्वार जनपद के विद्यालय हैं। यहां 65 विद्यालयों ने एनसीईआरटी की किताबों के समकक्ष किताबें लगाने की आड़ में महंगी किताबें थोप दी। देहरादून के 42 विद्यालय इस मामले में दोषी पाये गये हैं। नैनीताल में 55 विद्यालय व ऊधमसिंहनगर में 19 विद्यालयों ने कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की है। उल्लेखनीय है कि गत 11 सितंबर को शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने इस मामले की समीक्षा की थी और ऐसे विद्यालयों को नोटिस देने और हाईकोर्ट में उनकी कारिस्तानी रखने का आदेश दिया था। सरकार द्वारा सभी सरकारी, अर्धसरकारी व सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त पब्लिक स्कूलों में इस सत्र से एनसीईआरटी की किताबें लागू की थी। कोर्ट में स्कूलों ने तर्क दिया था कि शिक्षा के स्तर को बनाये रखने के लिए उन्हें अन्य किताबें लगानी होंगी। कोर्ट ने एनसीईआरटी के बराबर मूल्य की किताबें लगाने की अनुमति दी थी। स्कूल संचालकों ने पहले के प्रकाशकों की महंगी किताबें जबरन बच्चों को थमा दी। शिक्षा विभाग ने चार जिलों में नोडल अधिकारी नियुक्त कर 226 स्कूलों में गुपचुप जांच की थी। इसमें से 181 स्कूलों के खिलाफ महंगी किताबें लगाने के सुबूत पाये गये थे।