15 मेगावाट बिजली भी जमरानी बांध से होगी जनरेट, उत्तराखण्ड की 5 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि होगी सिंचित
देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि जमरानी बांध परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति मिल चुकी है। जमारानी बांध के लिए चार दशकों से प्रयास किये जा रहे थे, इसके लिए जनता की लम्बे समय से मांग भी थी। अब बांध बनने का रास्ता खुल गया है। इस परियोजना के लिए 89 करोड़ रूपये प्रारम्भिक कार्यों के लिए दिये जा चुके हैं। इस बांध के बनने से तराई- भाबर के क्षेत्रों हल्द्वानी, काठगोदाम, और उसके आस-पास के क्षेत्रों को ग्रेविटी वाटर उपलब्ध होगा। इससे उत्तराखण्ड की 5 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित होगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत मुख्यमंत्री आवास में मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि 15 मेगावाट बिजली भी जमरानी बांध से जनरेट होगी। हल्द्वानी और उसके आस-पास के क्षेत्रों में नलकूपों का जल स्तर नीचे होने के कारण पानी की उपलब्धता में समस्या आ रही थी, इससे एक तो रिचार्ज बढ़ेगा, स्वच्छ पेयजल लोगों को उपलब्ध होगा एवं भूमि की सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में जल मिलेगा। आगामी 75 वर्षों के लिए 24 घण्टे उपभोगताओं को पानी उपलब्ध होगा। इस बांध से भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर नैनीताल को भी पानी दिया जा सकता है। इस परियोजना का सबंधित क्षेत्रों के सामाजिक व आर्थिक जीवन पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। जमरानी बांध का निर्माण लगभग ढ़ाई हजार करोड़ रूपये से किया जायेगा। इसके लिए भारत सरकार से शीघ्र एक्सटर्नल फंडिंग के लिए बात की जायेगी। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री से इस संबंध में बातचीत हो चुकी है। जमरानी बांध का निर्माण का कार्य जल्द प्रारम्भ किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में ग्रेविटी वाटर उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है, देहरादून में सौंग, सूर्यधार व मलढ़ूग बांध बनाये जा रहे हैं। इन तीन बांधों के बनने से देहरादून जिले की 60 प्रतिशत जनसंख्या ग्रेविटी वाटर पर आ जायेगी। पौड़ी, गैरसैंण, अल्मोड़ा, चम्पावत, पिथौरागढ़ में भी जल संचय के लिए कार्य हो रहे हैं। इनमें और प्रोजक्ट जोड़े जायेंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत मुख्यमंत्री आवास में मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि 15 मेगावाट बिजली भी जमरानी बांध से जनरेट होगी। हल्द्वानी और उसके आस-पास के क्षेत्रों में नलकूपों का जल स्तर नीचे होने के कारण पानी की उपलब्धता में समस्या आ रही थी, इससे एक तो रिचार्ज बढ़ेगा, स्वच्छ पेयजल लोगों को उपलब्ध होगा एवं भूमि की सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में जल मिलेगा। आगामी 75 वर्षों के लिए 24 घण्टे उपभोगताओं को पानी उपलब्ध होगा। इस बांध से भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर नैनीताल को भी पानी दिया जा सकता है। इस परियोजना का सबंधित क्षेत्रों के सामाजिक व आर्थिक जीवन पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। जमरानी बांध का निर्माण लगभग ढ़ाई हजार करोड़ रूपये से किया जायेगा। इसके लिए भारत सरकार से शीघ्र एक्सटर्नल फंडिंग के लिए बात की जायेगी। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री से इस संबंध में बातचीत हो चुकी है। जमरानी बांध का निर्माण का कार्य जल्द प्रारम्भ किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में ग्रेविटी वाटर उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है, देहरादून में सौंग, सूर्यधार व मलढ़ूग बांध बनाये जा रहे हैं। इन तीन बांधों के बनने से देहरादून जिले की 60 प्रतिशत जनसंख्या ग्रेविटी वाटर पर आ जायेगी। पौड़ी, गैरसैंण, अल्मोड़ा, चम्पावत, पिथौरागढ़ में भी जल संचय के लिए कार्य हो रहे हैं। इनमें और प्रोजक्ट जोड़े जायेंगे।
गौरतलब है कि केंद्रीय जलायोग की तकनीकी सलाहकार समिति ने बांध परियोजना को मंजूरी दी जा चुकी है। क्षेत्रवासियों की वर्षों पुरानी पेयजल की समस्या दूर होने जा रही है। 09 किलोमीटर लम्बे, 130 मीटर चौड़े और 485 मीटर ऊँचे इस बाँध के निर्माण से 14 मेगावाट विद्युत उत्पादन के साथ ही पेयजल व सिंचाई के लिए पानी भी उपलब्ध होगा। इससे खासतौर पर ऊधमसिंहनगर व नैनीताल जिले को ग्रेविटी आधारित जलापूर्ति होगी।
परियोजना की कुल लागत 2584 करोड़ रुपये है। परियोजना की तकनीकी स्वीकृति केंद्रीय जल आयोग द्वारा फरवरी 2019 में दी जा चुकी है।बांध निर्माण के लिए वन विभाग ने 351.49 हेक्टेयर जमीन दी है। शासन से इसके लिए शुरूआती तौर पर 89 करोड़ रूपए की स्वीकृति दी जा चुकी है।
परियोजना की कुल लागत 2584 करोड़ रुपये है। परियोजना की तकनीकी स्वीकृति केंद्रीय जल आयोग द्वारा फरवरी 2019 में दी जा चुकी है।बांध निर्माण के लिए वन विभाग ने 351.49 हेक्टेयर जमीन दी है। शासन से इसके लिए शुरूआती तौर पर 89 करोड़ रूपए की स्वीकृति दी जा चुकी है।