श्रीनगर/देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। कोरोना को लेकर आम जनमानस ही नहीं, अपितु चिकित्सकों में भी इतना भय व्याप्त हो गया है कि अब उनको यह भी पता नहीं लग पा रहा है कि कौन मरीज इसकी जद में है और कौन नही। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है, जहां डाक्टरों ने डायलिसिस के लिए मरीज को कोरोना का मरीज समझकर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर दिया। अस्पताल में कोरोना वाइरस से ग्रसित मरीज के भर्ती होने की अफवाह फैलने से लोगों में हडकम्प मच गया। फिलहाल यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
मामला उत्तराखंड राज्य में स्थित राजकीय मेडिकल कालेज श्रीनगर के बेस चिकित्सालय का है, जहां डायलिसिस के लिए आए मरीज को डॉक्टरों ने कोरोना का मरीज समझकर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर दिया। बताया जाता है कि टिहरी जनपद के सौंप गांव से आए एक मरीज को एमरजेंसी विभाग के डॉक्टरों ने कोरोना वायरस का मरीज बताकर कोरोना के मरीजों के लिए बने (आइसोलेशन वार्ड) में भर्ती कर दिया। जांच के बाद डाक्टरों ने बताया कि मरीज में कोरोना वायरस के कोई लक्षण नहीं है। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों द्वारा बिना मरीज की जांच किए उसे कोरोना का मरीज बताकर कोरोना वार्ड में भर्ती कर दिया।
मरीज के परिजनों में डॉक्टरों की कार्यप्रणाली पर बहुत रोष है। परिजनों का कहना है कि उनकी बेटी किडनी रोग से ग्रसित है। बताया कि इससे पहले इलाज चंडीगढ़ में चल रहा था। बेस चिकित्सालय में डायलेसिस की सुविधा को देखते हुए बेस अस्पताल पहुंचे थेए लेकिन एमरजेंसी विभाग में तैनात रेजिडेंट डॉक्टरों ने उन्हें कोरोना वार्ड में शिफ्ट कर दिया। इस पूरे मामले को लेकर वरिष्ठ फिजीशियन डा. कलम सिंह बुटोला ने बताया कि मरीज में कोरोना वायरस के कोई लक्षण नहीं हैं। फिलहाल यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।