ऊखीमठ। पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर के कपाट सोमवार को दस बजकर 45 मिनट पर विधि-विधान से खोले गये। कपाट खोलने के अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मदमहेश्वर धाम पहुंचकर भगवान मदमहेश्वर के स्वयंभू लिंग की पूजा-अर्चना व जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित किया। सोमवार को ब्रह्मबेला पर गोंडार गांव में भगवान की डोली धाम के लिए रवाना हुई। धाम पहुंचने पर डोली ने मदमहेश्वर मंदिर की तीन परिक्रमाएं कीं और मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गई। कपाट खुलने के बाद प्रधान पुजारी ने भगवान मदमहेश्वर की समाधि जागृत, महाभिषेक व बाल भोग अर्पित किया और पंडित अभ्युदय जमलोकी ने मंदिर परिसर में हवन किया और यात्रा निर्विघ्न संपन्न होने की कामना की। इस अवसर पर केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा कि आज इस तीर्थस्थल पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी पहुंचे है। हिमालय क्षेत्र शिव-पार्वती की तपस्थली होने के कारण यह क्षेत्र दिव्य व अलौकिक है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि मुझे पहली बार कपाट खुलने के अवसर पर भगवान मदमहेश्वर के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। श्री रावत ने कहा कि मदमहेश्वर धाम के विकास में केदारनाथ वन्य जीवन प्रभाग का सेंचुरी वन अधिनियम बाधक बना हुआ है। सेंचुरी अधिनियम में ढील देने के लिए कोई हल निकाला जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पंच केदारों व पंच बद्री के चहुंमुखी विकास के लिए प्रयासरत है। आने वाले समय में सभी धामों को हेली व रोप-वे सेवाओं से जोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार डा. केएस पंवार ने कहा कि प्रदेश सरकार मदमहेश्वर घाटी के चहुंमुखी विकास के लिए प्रयासरत है। जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा ने कहा कि मदमहेश्वर घाटी के चहुंमुखी विकास के लिए सामूहिक प्रयास किये जाएंगे। इस मौके पर मुख्यमंत्री की सुपुत्री श्रीजा रावत, जिला पंचायत सदस्य मीना पुण्डीर, संगीता नेगी, मंदिर समिति के सदस्य शिव सिंह रावत सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।