भराड़ीसैंण। श्रम एवं सेवायोजन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने यह कहकर सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया कि बेरोजगारों के लिए वर्तमान में कोई रोजगार नीति नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार बहुत जल्द स्पष्ट रोजगार नीति लेकर सामने आएगी। उन्होंने यह भी कहा कि बेरोजगारी भत्ते जैसी योजना बुरी तरह नाकाम रही है। इसलिए सरकार का इस पर आगे बढ़ने का कोई इरादा नहीं है और वह कौशल विकास के तहत युवाओं को स्वरोजगार का प्रशिक्षण देगी। बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान भाजपा के ही झबरेडा विधायक देशराज कर्णवाल के सवालों के जवाब में डॉ. रावत ने कहा कि प्रदेश में 2014 से लेकर 2017 तक केवल 11089 लोगों को रोजगार दिए। झबरेड़ा विधायक के सवाल पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश, विधायक महेंद्र भट्ट, विनोद कंडारी और सुरेश राठौर ने भी अनुपूरक प्रश्न किये। श्रम एवं सेवायोजन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि सरकार पीएम नरेंद्र मोदी के कौशल विकास के संकल्प को आगे बढ़ाएगी। 2022 तक एक लाख युवाओं को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में रोजगार मेलों की संख्या को बढ़ाएगी। प्रीतम पंवार के सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि प्रदेश में 151838 प्रशिक्षित व 739303 प्रशिक्षित बेरोजगार हैं। उन्होंने सुरेंद्र सिंह नेगी के सवाल के जवाब में बताया कि सरकार दो साल तक नए आईटीआई कहीं नहीं खोलेगी और तो और उन स्थानों के लिए भी सरकार अपने स्टैंड में ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है, जहां के लिए पिछली सरकार ने घोषणा की थी। सरकार ने साफ किया है कि वह इस बात का परीक्षण भी कराएगी कि वास्तव में कहां आईटीआई की आवश्यकता है। जमीन और छात्र संख्या को आधार बनाकर कुछ जगह से आईटीआई शिफ्ट भी किए जाएंगे। डॉ.हरक सिंह रावत ने बताया कि पूरे प्रदेश में 147 आईटीआई चल रहे हैं। उत्तराखंड जैसे राज्य में ये संख्या काफी ज्यादा है। पिछली सरकार ने 52 नए आईटीआई खोलने की घोषणा की थी। इसमें से 25 शुरू हो चुके हैं। 27 पर छात्र संख्या और जमीन की उपलब्धता जैसी बातों को देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि नए आईटीआई खोलने से पहले तमाम चीजों का परीक्षण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पिछली सरकार की घोषणा में नैनीसैंण में आईटीआई प्रस्तावित किया गया था, लेकिन इसमें माईथान का कोई जिक्र नहीं है।