देहरादून। भले ही सरकारी स्कूलों की दुर्दशा सुधारने के शिक्षा मंत्री तमाम तरह के दावे करे, लेकिन स्कूलों के हालातों की तरफ विभाग खुद ही ध्यान देने में आना-कानी सा करता नजर आ रहा है। गांव की बात तो छोड़िए साहब, बीच शहर के बदहाल स्कूल विभागीय दावों की पोल खोलने के लिए काफी है।
सरकारी स्कूलों की दुर्दशा सुधारने की दिशा में भले ही सूबे के शिक्षा मंत्री तमाम तरह के दावे कर रहे हो, लेकिन हकीकत इसके विपरीत ही नजर आ रही है। स्कूलों के हालात इतने खराब है कि उनकी तरफ खुद विभाग ही ध्यान देने मंेे असमर्थ सा महसूस कर रहा है। गांव तो छोड़िए, अस्थायी राजधानी देहरादून के ही बदहाल स्कूलों की तस्वीर शिक्षा के स्तर की पोल खोल रही है। जानकारी के अनुसार डीएवी पीजी कालेज से चंद कदमों की दूरी पर स्थित है राजकीय प्राथमिक विद्यालय मानसिंहवाला देहरादून, जो आज भी किराए की इमारत पर चल रहा है।
अब यदि बदहाल हालत में पड़े इस स्कूल की बात की जाए, तो जर्जर हो चुकी इमारत को मरम्मत की दरकार है तथा बच्चों को शिक्षकों और अलग-अलग कमरों की। चौकाने वाली बात तो यह है कि दो क्लासरूम में पहली क्लास से लेकर पांचवीं तक के बच्चों की पढ़ाई एक साथ हो रही है। इसके अलावा स्कूल में एक प्रिंसिपल हैं और एक शिक्षिका। बारिश के समय तो स्कूल की स्थिति और भी भयावह हो जाती है। बताया जाता है कि स्कूल की प्राचार्य की ओर से कई बार उच्चाधिकारियों को लिखित तौर पर भवन और शिक्षकों की कमी से अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक किसी प्रकार की कोई सुनवाई नहीं हो पायी है।
वैसे इस स्कूल से कई ऐसे होनहार निकले हैं जो आज सरकारी और निजी कंपनियों में अच्छे पदों पर काम कर रहे है और स्कूल में फ़र्नीचर जैसे सुविधाएं भी उन लोगों ने उपलब्ध करवाई हैं. लेकिन सरकार जैसे इस स्कूल को भूल गई है। यदि देखे तो सरकारी स्कूलों के लिए यह स्थिति किसी तरह से चौकाने वाली भी नहीं है। आज भी कई ऐसे स्कूल है, जहां या तो 1 से 5वीं तक के बच्चों की पढ़ाई एक साथ हो रही है या फिर स्कूली भवन जर्जर हालातों में है।