देहरादून। तिब्बती समुदाय की महिलाओं ने चीन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ नगर में जुलूस निकाला। मंगलवार को तिब्बती मार्केट में तिब्बती समुदाय की महिलाओं ने तिब्बत पर चीनी आधिपय के खिलाफ 1959 में हुए अहिंसात्मक प्रतिरोध की 60वीं वर्षगांठ मनाई। उसके बाद तिब्बती मार्केट से बुद्धा चौक, तहसील चौक, लैसडाउन चौक होते हुए तिब्बती मार्केट तक शांतिपूर्वक जुलूस निकाला। इस मौके पर तिब्बती महिला संगठन की केंद्रीय अध्यक्ष डोलमा यंगछेन ने कहा कि चीन जानबूझकर क्रमबद्ध तरीके से तिब्बत में मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय एवं आलोचना के होते हुए भी चीन में तिब्बतियों के स्वायत्त अधिकारों की मनाही कर रखी है। 1959 में चीनियों के जबरन तिब्बत पर कब्जे के विरोध में यह दिवस मनाया जाता है। उस समय तिब्बत की महिला समूहों ने काफी मुखर होकर चीन की हरकत का विरोध किया था। जिसमें सैकड़ों नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। वक्ताओं ने कहा कि तिब्बती महिलाओं का तिब्बती इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। महिलाओं द्वारा तिब्बत पर चीनी आधिपत्य के खिलाफ एक हिंसात्मक प्रतिरोध दर्ज किया गया था। तिब्बत में महिलाएं सबसे क्रूर शासन के विरोध म धैर्यपूर्वक और प्रतिबद्धता के साथ खड़ी हुई। इससे आंदोलन को गति मिली और निर्वासन में रहते हुए राजनीतिक संघर्ष को साहस और दृढ़ता से जारी रखा। तिब्बती महिला संगठन का कहना है कि तिब्बती महिलाओं के संदर्भ में चीन द्वारा तिब्बत पर मानवाधिकारों के हनन संबंधी अंतराष्ट्रीय दबाव बनाया जा सके। इस मौके पर तिब्बती महिला संगठन ने उन महिला और पुरु षों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने अपना जीवन अपने राष्ट्र और अपने लोगों के लिए न्योछावर किया है। इस मौके पर तिब्बती समुदाय की महिलाएं बड़ी संख्या में मौजूद रही।