उत्तराखंड : कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले

– जमीनों के सर्किल रेट में वृद्धि को मंजूरी
– पंचेश्वर बहुद्देशीय परियोजना पुनर्वास पुनस्र्थापन नीति के संबंध में सिंचाई मंत्री की अध्यक्षता में एक उपसमिति बनाने का फैसला
– खाद्य नागरिक आपूत्तर्ि एवं उपभोक्ता मामले में प्रदेश की राशन की दुकानों को कामन सर्विस सेंटर के रूप में विकसित करने का निर्णय
– अर्बन सीलिंग के देहरादून जनपद के धोलास गांव की भूमि एमडीडीए को हस्तांतरित
– एवरेस्ट विजेता सुमन कुटियाल को संवर्गीय खंड विकास अधिकारी के पद पर नियुक्ति को कैबिनेट का अनुमोदन
– राज्य में भूमि के सर्किल रेट मूल्यांकन की नयी सूची जारी
– विधायक निधि में वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी
– विधायक निधि में एक करोड़ की वृद्धि को मंजूरी, अब लैप्स नहीं होगी निधि
– जन शिक्षा समिति उत्तराखंड को सरस्वती शिशु मंदिर के विद्यालय के भवन निर्माण के लिए नि:शुल्क भूमि का आवंटन
– उत्तराखंड सूचना आयोग में सहायक लेखाकार एवं सहायक समीक्षा अधिकारी के पदों को मंजूरी
– एनएचआई की परियोजनाओं में प्रदेश के प्रशासनिक व्यय को 2.5 फीसद किए जाने पर मंजूरी। पहले 5 फीसद था
– केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों के आवासीय भवन निर्माण के तीन भवनों के हिस्से को ध्वस्त करने की मंजूरी
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देहरादून। उत्तराखंड में अब घर बनाना काफी महंगा हो गया है। शुक्रवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में जमीनों के सर्किल रेट में वृद्धि को मंजूरी दे दी गई है। सर्किल रेट बढ़ने से सबसे ज्यादा असर देहरादून, नैनीताल और हरिद्वार जनपदों में पड़ेगा।
हरिद्वार में खेती योग्य भूमि के सर्किल रेट में 400 फीसद और आबादी वाले क्षेत्रों में 233 फीसद की वृद्धि हुई है। वहीं पर्वतीय जनपदों में 15 फीसद की वृद्धि हुई है, जिनमें नैनीताल और पौड़ी सहित पांच जनपद शामिल हैं। खास बात यह है कि देहरादून जनपद के राजपुर क्षेत्र में सर्किल रेट में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है। यहां पर पहले से ही जमीनों का सर्किल रेट 50 हजार वर्ग मीटर है। नैनीताल में 60 हजार वर्ग मीटर तक और हरिद्वार में 56,300 वर्ग मीटर तक सर्किल रेट तय किया गया है। वहीं सितारगंज में 21 फीसद सर्किल रेट कम किया गया है। सरकारी प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि देहरादून में आबादी वाले क्षेत्रों में कम से कम दो फीसद और अधिकतम 111 फीसद की वृद्धि की गयी है, जबकि कृषि भूमि में अधिकतम 62 और न्यूनतम नौ फीसद की वृद्धि हुई है।
देहरादून में 121 ऐसे क्षेत्र हैं जहां किसी भी तरह की कोई वृद्धि नहीं की गयी है। जबकि 22 क्षेत्रों में तीन फीसद की वृद्धि हुई है। हरिद्वार में आबादी वाले क्षेत्रों में कम से कम एक फीसद और अधिकतम 233 फीसद की वृद्धि हुई है। हरिद्वार में ही कृषि भूमि में कम से कम दो फीसद और अधिकतम 400 फीसद की वृद्धि हुई है। अधिकतम वृद्धि वाले क्षेत्र में पंतजलि वाला क्षेत्र शामिल है। ऊधमसिंह नगर में आबादी वाले क्षेत्रों में कम से कम तीन फीसद और अधिकतम 25 फीसद की वृद्धि की गयी है। जबकि कृषि भूमि में कम से कम तीन फीसद और अधिकतम 81 फीसद की वृद्धि की गयी है। नैनीताल में आबादी वाले क्षेत्रों में कम से कम एक फीसद और अधिकतम 208 फीसद की वृद्धि की गयी है। यहां कृषि भूमि का सर्किल रेट कम से कम दो फीसद और अधिकतम 48 फीसद तक बढ़ाया गया है। टिहरी में आबादी वाले क्षेत्रों में कम से कम दो फीसद और अधिकतम 20 फीसद की वृद्धि हुई है। जबकि इस जनपद में ही कृषि भूमि का सर्किल रेट कम से कम दो फीसद और अधिकतम 35 फीसद की वृद्धि की गयी है।
पौड़ी में आबादी वाले क्षेत्रों में कम से कम 10 फीसद और अधिकतम 100 फीसद की वृद्धि की गयी है। पौड़ी में कृषि भूमि कम से कम 10 फीसद और अधिकतम 100 फीसद की वृद्धि की गयी है। उत्तरकाशी, रुद्रपुर और अल्मोड़ा में सर्किल रेट आबादी और कृषि भूमि दोनों को बराबर रखा गया है। इन तीनों जनपदों में आबादी वाले क्षेत्रों में कम से कम पांच फीसद और अधिकतम 10 फीसद जबकि कृषि भूमि में कम से कम पांच फीसद और अधिकतम 10 फीसद की वृद्धि की गयी है। बागेश्वर में आबादी वाले क्षेत्रों में कम से कम दो फीसद और अधिकतम 10 फीसद की वृद्धि की गयी है जबकि कृषि भूमि में कम से कम दो फीसद और अधिकतम 10 फीसद की वृद्धि शामिल है। पिथौरागढ़ में आबादी वाले क्षेत्रों में कम से कम तीन फीसद और अधिकतम 20 फीसद की वृद्धि शामिल है। इस जनपद में कृषि भूमि में कम से कम एक फीसद की वृद्धि हुई है और अधिकतम 20 फीसद की वृद्धि शामिल है। चंपावत में आबादी वाले क्षेत्रों में कम से कम दो फीसद और अधिकतम 25 फीसद की वृद्धि हुई है।
कृषि भूमि में भी कम से कम दो फीसद और अधिकमत 25 फीसद की वृद्धि शामिल है और चमोली जनपद में आबादी वाले क्षेत्रों में कम से कम तीन फीसद और अधिकतम 15 फीसद की वृद्धि हुई। इसी जनपद में कृषि भूमि में भी कम से कम तीन फीसद और अधिकतम 15 फीसद की वृद्धि शामिल है। जबकि सितारगंज में 21 फीसद सर्किल रेट कम हुआ है।रुड़की के प्रमुख मागरे में 233 फीसद की वृद्धि हुई है। छह से 233 फीसद हुई वृद्धि में पिरान कलियर का बेड़पुर शामिल है। रुड़की के अंतिम गांव सांतरशाह और हाईवे भी शामिल हैं। ऊधमसिंह नगर में औसतन एक से 15 फीसद और कुछ अन्य क्षेत्रों में 25 फीसद की वृद्धि हुई है। यहां पर खेती की जमीन में एक से 81 फीसद की वृद्धि हुई है। जिसमें दिनेशपुर और लंबगांव शामिल हैं। नैनीताल के आबादी वाली क्षेत्रों में एक से 15 फीसद जिसमें हल्द्वानी के प्रमुख मार्ग भी शामिल हैं। इसके अलावा नहरवाला और रामुपर रोड का इलाका शामिल है। कालाढुंगी में 208 फीसद और गौला पार्क स्टेडियम के पास 150 फीसद की वृद्धि हुई है। पर्वतीय जनपदों में विशेष रूप से कृषि भूमि और आबादी वाली भूमि में 100 -100 फीसद की वृद्धि हुई है। खास बात यह है कि अल्मोड़ा और टिहरी में सर्किल रेट को कम भी किया गया है।

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