अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने तकनीकी शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर डाला प्रकाश

देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने तकनीकी शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए जिला प्रशासन स्तर पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
आईएएस वीक के अंतर्गत सोमवार को विश्वकर्मा भवन, सचिवालय के वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में आयोजित बैठक के द्वितीय सत्र में अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि रोजगारोन्मुख कोर्सेज को अधिक फोकस करने की जरूरत है। एक भारत श्रेष्ठ भारत योजना के अन्तर्गत अन्य राज्यों से तकनीक और तकनीकी ज्ञान का आदान प्रदान किया जा सकता है। इससे दोनों राज्यों के छात्र लाभान्वित होंगे।
प्रमुख सचिव उद्योग श्रीमती मनीषा पंवार ने आजीविका के लिए स्थानीय पारंपरिक शिल्प को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों का वेल्यू एडिशन करके बाज़ार उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकताओं में है। पलायन प्रभावित क्षेत्रों और सीमांत क्षेत्रों में आजीविका के संसाधनों को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
प्रमुख सचिव श्री आनंद वर्द्धन ने जिलाधिकारियों द्वारा उच्च शिक्षण संस्थानों का भी निरीक्षण करने की बात कही। उन्होंने कहा कि अपने संस्थानों में डिस्ट्रिक्ट स्पेसिफिक स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम चलाए जाने चाहिए, इसमें जिला प्रशासन के सहयोग की आवश्यकता है। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
सचिव शहरी विकास श्री शैलेश बगोली ने कहा कि उत्तराखण्ड में भी शहरी जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। इसी के अनुरूप हमें भी तेजी से विकास करने कि आवश्यकता है। शहरी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए सेल्फ एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम पर विशेष ध्यान देना होगा।
म्यूनिसिपल कमिश्नर देहरादून श्री विनय शंकर पांडेय ने ज़ीरो वेस्ट मॉडल के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि यह भविष्य का वेस्ट मैनेजमेंट का अच्छा विकल्प हो सकता है। उन्होंने बताया कि देहरादून के लिए मैकेनाइज्ड क्लीनिंग सिस्टम विकसित कर रहे हैं। इसमें सफाई के लिए मशीनों का प्रयोग शुरू किया जा रहा है। मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि छोटे छोटे सेग्रीगेशन सैंटर विकसित किए जाएं।
सीडीओ पिथौरागढ़ सुश्री वंदना ने पिथौरागढ़ में आजीविका हेतु किए जा रही पहलों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों के विकास के लिए आय के स्रोतों को जानना होगा। क्षेत्र विशेष के अनुरूप योजनाएं बनानी होंगी। इसके साथ ही, मृत हो चुकी यूनिट्स को पुनर्जीवित करने पर बल देना होगा।

तृतीय सत्र (अंतिम सत्र)
कार्यक्रम के तीसरे सत्र में सचिव ऊर्जा श्रीमती राधिका झा ने कहा कि गुणवत्तायुक्त पॉवर सप्लाई, ग्रीन ऊर्जा को बढ़ावा और जनता की समस्याओं का तेजी से निराकरण सरकार की प्राथमिकताओं में है। उन्होंने कहा कि जनपद स्तर पर इसकी मॉनिटरिंग अति आवश्यक है। ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में चीड़ की पत्ती से ऊर्जा उत्पादन में उत्तराखण्ड तेजी से कार्य कर रहा है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों से पॉवर स्टेटस की मासिक रूप से मॉनिटरिंग, विद्युत चोरी को रोकने एवं सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट्स की लगातार मॉनिटरिंग करने का भी अनुरोध किया।

सचिव पर्यटन श्री दिलीप जावलकर ने कहा कि उत्तराखण्ड में पर्यटन के विकास के लिए हम सब को मिलकर टीमवर्क के रूप में कार्य करना होगा। दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों के लोग होम स्टे जैसी योजनाओं का लाभ उठा सकें इसके लिए एकल खिड़की व्यवस्था का पूर्ण रूप से पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में 13 डिस्ट्रिक्ट्स 13 न्यू डेस्टिनेशन, रोपवे, स्काई लिफ्ट्स, कन्वेंशन सेंटर आदि विभिन्न योजनाओं पर कार्य चल रहा है। साथ ही वेलनेस सिटी पर भी कार्य चल रहा है। इन योजनाओं की जनपद स्तर पर मॉनिटरिंग बहुत जरूरी है।
अपर मुख्य सचिव श्री ओम प्रकाश ने किसानों की आय दोगुनी करने हेतु किए जा रहे कार्यों की जानकारी देते हुए बताया कि इसमें फार्म बेस्ड और नॉन-फार्म बेस्ड दोनों प्रकार की योजनाओं को मजबूती से लागू करना होगा तभी किसानों कि आय दोगुनी करने में सफलता प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक को अपनाते हुए कृषि के आधुनिकीकरण की ओर बढ़ना होगा। अपने स्थानीय उत्पादों के लिए बाजारों को विकसित करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही रिस्क मैनेजमेंट में भी कार्य करने की आवश्यकता है, ताकि फसलों का बीमा जो सके और किसानों को कम से कम नुकसान हो। अपर मुख्य सचिव श्री ओम प्रकाश ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए माइक्रो प्लान पर फोकस करना होगा साथ ही इंटीग्रेटेड मॉडल विलेज और कृषि क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट पर भी फोकस करना होगा।
जिलाधिकारी बागेश्वर श्रीमती रंजना ने किसानों की आय दोगुनी करने हेतु जनपद में किए जा रहे विभिन्न कार्यों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि समेकित कृषि प्रणाली, सचल पशु चिकित्सा वाहन, कृषि उत्पादन लागत को कम करने से इस क्षेत्र में काफी सुधार आया है।

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