देहरादून। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने निलंबित शिक्षिका के मामले में कांग्रेस पर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि शिक्षिका के साथ न्याय होगा, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस यह चाहती है कि पहाड़ के बच्चो को अच्छी शिक्षा न मिले। पांडेय ने इस मामले में मुख्यमंत्री को निशाने पर लेने वालों को भी आड़े हाथ लिया और कहा कि मुख्यमंत्री की पहल पर ही शिक्षा में बड़े सुधार हो रहे हैं और तबादलों में सबको न्याय मिले, इसके लिए एक्ट पारित करवाया गया है। अपने कार्यालय से जारी एक बयान में पांडेय ने कहा है कि शिक्षा विभाग पिछले 17 वर्षो में सिर्फ स्थानान्तरण, पोस्टिंग, अटैचमेंट और सुगम-दुर्गम का विभाग बनकर रह गया था। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर विभाग में बड़े पैमाने पर सुधार कार्यक्रम शुरू किये गये। दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चों को पढ़ाने के लिए जहां क्योन ऐप से एक्सपर्ट के द्वारा एजुकेशन देने के लिए काम हो रहा है वहीं पूरे प्रदेश में समान शिक्षा के लिए एनसीईआरटी की किताबें लागू की गयी हैं। सरकार निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने की योजना पर भी काम कर रही है। बच्चों को अच्छा भोजन मिले, इसके लिए केंद्रीय किचन डेवलप किये जा रहे है। उन्होंने स्वीकार किया कि विभाग में उत्तरा बहुगुणा की तरह एक हजार शिक्षिकाएं होंगी, जिन्हें सही न्याय नहीं मिल पाया है। शिक्षा मंत्री ने कहा है कि मुख्यमंत्री के निर्देश हैं कि परेशान और लंबे समय से दुर्गम में तैनात शिक्षकों को न्याय मिलना चाहिए, शिक्षा विभाग उसी के हिसाब से काम कर रहा है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि जब उनकी सरकार थी, उन्होंने कभी भी शिक्षा की बेहतरी और शिक्षकों को राहत देने के लिए नहीं सोचा। कांग्रेस के समय में स्थानान्तरण ने कमाऊ उद्योग का रूप ले लिया था। यही वजह है कि उत्तरा जैसी शिक्षिकाओं के साथ न्याय नहीं हो पाया। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे कांग्रेस के भ्रमित करने की चाल को समझें। कांग्रेस के शासन (वर्ष 2016) में उत्तरा को न्याय देने के बजाय उनकी सेवा समाप्त करने का नोटिस दिया गया था। कांग्रेस सरकार में संवेदनशीलता होती तो वह उनके प्रकरण को हल करती और शिक्षिका को इतनी परेशानी नहीं सहनी पड़ती। पांडेय ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने उद्योग का रूप ले चुके तबादलों को ठीक करने के लिए स्थानान्तरण एक्ट पास करवाया।