मैकेनिकल इंजी. के छात्रों ने बनाया ऐसा बॉयलर जो…..

श्रीनगर। हेनग गढ़वाल विश्व विद्यालय इंजीनियरिंग के छात्र भी कुछ नया कर गुजरने को तैयार हैं। मैकेनिकल इंजीनियरिंग अंतिम वर्ष के छात्रों के तीन ग्रुपों ने अपनी प्रतिभा के बल पर कुछ नया करने की कोशिश की है। एक ग्रुप के पांच छात्रों ने एक ऐसा बॉयलर बनाया जो उद्योगों के वेस्ट मेटेरियल व धान की भूसी से चलता है। इससे से बनी भाप काफी सस्ती होती है व इसको बनाने की लागत भी काफी कम आयेगी। इसका इस्तेमाल, कपड़ा, प्रोसेसिंग सहित कई अन्य उद्योगों में किया जा सकता है। बॉयलर को बनाने वाले छात्रों नेहा जोशी, आफताब आलम, मुहम्मद फैजी, दिलआरीफ, विपिन पंवार आदि ने बताया कि उनके द्वारा बनाया गया फायर कम वाटर ट्यूब बॉयलर कम सस्ते ईधन के अच्छी भाप पैदा करता है। इसका डिजाइन इस प्रकार तैयार किया गया है कि यह उद्योगों से निकलने वाले वेस्ट मैटिरियल व धान की भूसी से चल सकता है। धान की भूसी का ईधन के रूप में इस्तेमाल कर एक किलो गैस 80 पैसे में तैयार की जा सकती है। इसका कई उद्योगों में किया जा सकता है। कोयले के मुकाबले इससे काफी सस्ते दामों पर भाप बनायी जा सकती है। वहीं यह यंत्र काफी सस्ते में बनाया जा सकता है। छात्रों द्वारा इसका डेमो भी दिखाया गया।वहीं छात्रों के दूसरे समूह ने नेचुरल फाइबर का इस्तेमाल कर प्लास्टिक कम्पोजिट बनाया, जिसका इस्तेमाल कृत्रिम अंगों के लिए किया जाता है। इसमें यह उत्तराखण्ड में पाई जाने वाली मालू की बेल व भीमल के पेड़ों से प्राप्त रेशों से तैयार किया गया है। इसको बनाने वाले छात्र सोनू, शुभम गुप्ता, महावीरंिसंह, रवीकांत साहनी व अरुण गुप्ता ने कहा कि इससे बना प्लास्टिक कम्पोजिट काफी हल्का होने के साथ मजबूत भी होता है। वहीं इससे स्थानीय लोगों को भी लाभ मिल सकता है। इसी तरह योगेश्वर व उनके साथी छात्रों के दल ने एल्यूमीनियम का कम्पोजिट भी बनाया है जो वाहन उद्योग में इस्तेमाल होता है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष मनोज कुमार व दशरथ कठैत का कहना है कि छात्रों ने उनकी देखरेख में अपने दम पर इन सभी चीजों का निर्माण किया है। उन्होंने व्यक्त की है कि आगे भी छात्र इसी प्रकार नये यंत्रों का आविष्कार करते रहेंगे।

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