भ्रमों को त्यागकर विशालता को अपनाना है गुरूमतः बडोनी

देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। सम्पूर्ण जगत परमात्मा को अलग-अलग नामों से पुकारता है, लेकिन सबका मूल एक ही है। सत्गुरू समय-समय पर रूप बदलकर आता है और एक परमपिता का ज्ञान इस संसार को देता है। सत्गुरू हर समय सभी को इस परमपिता से जोड़ने का प्रयास करते है, परन्तु मनुष्य भ्रमों-भ्रान्तियों में पड़कर इस सत्य को समझ नही पाता। उक्त आशय के विचार सन्त निरंकारी मण्डल के तत्वाधान में आयोजित रविवारीय सत्संग कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ज्ञान प्रचारक रविन्द्र बडोनी ने आयी हुई साध संगत को सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का पावन आशीर्वाद प्रदान करते हुए व्यक्त किये।
उन्होंने उदाहरण देते हुए आगे कहा कि जैसे मछली को बर्तन (जार) से निकालकर समुद्र में डाला जाये, परन्तु वह अपने व्यवहार के कारण एक सीमित दायरे में ही तैरती है, वैसे ही मनुष्य भी महापुरूषों और सन्तों द्वारा दिये गये ज्ञान को न समझकर भ्रमों में पड़कर इस परमपिता निरांकर से दूर रहता है। आज का मानव ऊॅच-नीच, अमीर-गरीब, ईष्र्या, नफरत, द्वेष, निन्दा, अहंकार, जाति, भाषा, आदि भावनाओं को मन में धारण कर एक संकीर्ण विचारधारा को अपनाते हुए इस विशालता से दूर हो जाता है। जबकि सत्गुरू हमें ब्रहमज्ञान देकर हमारे मन को एक विशालता प्रदान करते हुए हमें इन सब से ऊपर उठने के लिए प्रेरित करते हैं।
उन्होंने कहा कि सत्गुरू हमें यह समझाते है कि दूसरों को देखने बजाय अपना मूल्यांकन करना है। हमें अपने मन की कमियों और भ्रमों पर चिन्तन करना है और उन्हें दूर करते हुए इस निरांकार पारब्रहम को पाना है। तभी हम अपने हृदय को विशाल कर पायेगें। जब ऐसी अवस्था को हम प्राप्त कर लेगें, तभी हम उन सुखों को प्राप्त कर सकते है, जिन्हें पाने के लिए हम भटक रहे है। सत्संग समापन से पूर्व अनेकों प्रभु-प्रेमियों, भाई-बहनों एवं नन्हे-मुन्ने बच्चों ने गीतों एवं प्रवचनों के माध्यम अपने विचार प्रकट करें। मंच का संचालन अमित भट्ट ने किया।

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