देहरादून। उत्तराखंड में दो दिग्गजो के बीच जुबानी जंग शुरू हो गयी है। इस बार यह जुबानी जंग प्रदेश के सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत व पूर्व सीएम हरीश रावत के बीच है। इस जंग का माध्यम सोशल मीडिया बना हुआ है, जहां दोनों नेता एक-दूसरे पर बातों के तीर चला रहे है।
लोकसभा चुनाव के माहौल में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा पूर्व सीएम हरीश रावत को बार-बार हारने वाला नेता बताये जाने के बाद दोनों नेताओं में जुबानी जंग छिड़ गई है। जहां हरीश रावत ने कहा कि चुनाव नतीजे आने पर त्रिवेंद्र सिंह रावत का घमंड टूट जाएगा, वह आम जनता के दिलों में जिंदा रहेंगे, वहीं सीएम ने कहा कि लोगों के दिलों में कौन कितना जिंदा रहता है, इस बात का फैसला 23 मई को हो जाएगा।
बता दें कि सोमवार को पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर लिखा-‘‘मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मेरी चुनावी हारें गिनाने का बड़ा शौक है। गिरते हैं सह सवार ही मैदान-ए-जंग में। मुझे हराने वाले लोग तो आज याद नहीं है, हारने वाला हरीश रावत आज भी लोगों की जुबां में जिंदा है। मेरी शुभकामना है, आप 2022 का चुनाव भेंटें, मगर याद रखना आप रिकार्ड बुक में जिंदा रहेंगे, मैं इसके बाद भी लोगों की भावना और जुबां में जिंदा रहूंगा। रहा सवाल इस बार के चुनाव का, क्या आप कहीं चुनाव में थे क्या आपके नाम व काम पर किसी ने वोट मांगा -हरीश रावत, भूतपूर्व मुख्यमंत्री इस चुनाव में भी मतदाताओं के मध्य जिंदा था, उसके काम की, उसके सोच की र्चचा हो रही थी। खैर भगवान ने चाहा तो आपका घमंड जल्दी टूट जाएगा।’
पूर्व सीएम की इस पोस्ट पर पलटवार करते हुए सीएम त्रिवेंद्र रावत ने हरीश रावत को संबोधित करते हुए लिखा-‘‘चुनाव में हार-जीत लगी रहती है। लोकतंत्र में जीतना व हराना जनता के हाथ में है। आपने ठीक कहा कि आप लोगों कि जुंबा पर जिंदा हैं, लेकिन किन कामों के लिए जिंदा हैं, इसका अहसास आपको जनता 2017 में करवा चुकी है। लोगों के दिलों में कौन कितना जिंदा रहता है, इस बात का फैसला 23 मई को हो जाएगा। मैं समझ सकता हूँ कि आप पर चुनाव का बहुत दबाव रहा होगा, इसलिए आपकी जानकारी के लिए बता दूं, मैंने प्रदेश के करीब करीब हर कोने में 15 दिन में 60 जनसभाएं की और हर जगह जनता का भरपूर प्यार और समर्थन मुझे और मेरी पार्टी को मिला। जहां तक बात अहंकार की है, तो आप मुझे इस बात का जवाब दीजिए कि अहंकारी कौन है, अति आत्मविास से कौन लबरेज था और ये बात मैं इसलिए कह रहा हूँ कि आपने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को नैनीताल लोकसभा क्षेत्र में रैली करने तक के लिए नहीं बुलाया। अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के प्रति इतना अविश्वस क्यों? इसको मैं आपका अति आत्मविास कहूं, या अहंकार। बहरहाल आप भी यह मान चुके हो कि आप के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आने से आपको फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता। जहां तक बात भेंट करने की है, वो हमेशा करते रहेंगे। जहां तक मेरी सरकार के कामों का सवाल है, उसका आकलन भी जनता जनार्दन करेगी। आपकी बेचैनी मैं समझ सकता हूँ। खैर भगवान से मैं आपके स्वस्थ जीवन व दीर्घायु होने की कामना करता हूँ।’
इस पोस्ट के बाद हरदा ने फिर पलटवार किया, कहा-‘‘मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुभेच्छा जाहिर की है कि मैं अच्छा हो लोगों के दिल में ही रहूं। भाजपा वालों के पास तो दिल है ही नहीं, उनके पास तो केवल 56 इंच लंबी जुबान है।’ बहरहाल सूबे के दो दिग्गजो के बीच चल रही इस जुबानी जंग को कौन जीतता है, इसका फैसला 23 मई को चुनावी परिणाम सामने आने के बाद हो जाएगा।